Share This Article
एक समय राजा युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा – “हे जनार्दन! कृपया एकादशी व्रत का महत्व बताइए।”
भगवान श्रीकृष्ण बोले – “पार्थ! कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम रमा एकादशी है। इस व्रत से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
प्राचीन काल में एक राजा मुचुकुंद थे। वे धर्मपरायण और सत्यवादी थे। उनके राज्य में सभी लोग धर्म-कर्म में लगे रहते थे। एक बार उन्होंने इस एकादशी का व्रत करके फलाहार किया और विधिपूर्वक व्रत कथा सुनी। परिणामस्वरूप उन्हें अपार यश, धन और अंत में मोक्ष की प्राप्ति हुई।
श्रीकृष्ण ने कहा – “जो मनुष्य श्रद्धा से एकादशी का व्रत करता है और कथा सुनता है, उसे सहस्त्र गोदान के समान फल प्राप्त होता है। यह व्रत जन्म-जन्मांतर के पापों को मिटाकर भक्त को वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति कराता है।”
फल: एकादशी व्रत से पापों का नाश, आरोग्य, सुख-समृद्धि और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

एकादशी व्रत विधि
1. व्रत का संकल्प
- दशमी तिथि (एक दिन पहले) से ही सात्त्विक भोजन करें।
- रात्रि को जल्दी सोकर प्रातः स्नान कर “आज मैं एकादशी व्रत करूँगा/करूँगी” का संकल्प लें।
2. प्रातः पूजन
- प्रातःकाल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान पर भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।
- गंगाजल छिड़ककर स्थान को पवित्र करें।
3. पूजन प्रक्रिया
- दीपक जलाएँ और धूप-फूल अर्पित करें।
- तुलसीदल, पीले फूल और पीले वस्त्र अर्पित करना विशेष शुभ माना जाता है।
- विष्णु सहस्रनाम या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें।
- एकादशी व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
4. उपवास
- व्रती को अन्न, चावल और दाल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- फल, दूध, मेवा, और सात्त्विक आहार लिया जा सकता है।
- यदि संभव हो तो निर्जल उपवास करें।
5. रात्रि जागरण
- रात्रि को भजन-कीर्तन करें और विष्णु भगवान का स्मरण करें।
6. द्वादशी (अगले दिन)
- प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु को भोग लगाएँ।
- ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान दें।
- व्रत का पारण करें (फलाहार या सात्त्विक भोजन करके व्रत समाप्त करें)।
एकादशी व्रत का महत्व
- पापों का नाश होता है।
- घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- स्वास्थ्य उत्तम रहता है।
- अंत में मोक्ष और विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
24 एकादशी व्रत सूची एवं महत्व
चैत्र मास
- कामदा एकादशी – पापों का नाश, संतान सुख की प्राप्ति।
- वरूथिनी एकादशी – धन, यश और मोक्ष प्रदान करने वाली।
वैशाख मास
- मोहिनी एकादशी – मोह, लोभ और आसक्ति से मुक्ति।
- अपरा/अचला एकादशी – पापों का नाश, पुण्य वृद्धि।
ज्येष्ठ मास
- निर्जला एकादशी – सभी एकादशी व्रतों के बराबर फल, जल का दान श्रेष्ठ।
- योगिनी एकादशी – कुष्ठ रोग से मुक्ति और पितरों को शांति।
आषाढ़ मास
- पद्मा/देवशयनी एकादशी – भगवान विष्णु योगनिद्रा में जाते हैं, चातुर्मास की शुरुआत।
- कामीका एकादशी – क्रोध और पाप नाशक, तुलसी पूजा का महत्व।
श्रावण मास
- पवित्रा/पुत्रदा एकादशी – संतान सुख और परिवार की समृद्धि।
- अजा एकादशी – ब्रह्महत्या जैसे पापों से मुक्ति।
भाद्रपद मास
- परिवर्तिनी/पार्श्व एकादशी – भगवान विष्णु करवट बदलते हैं, विवाह और शुभ कार्य शुरू।
- इंदिरा एकादशी – पितरों को मोक्ष की प्राप्ति।
आश्विन मास
- पद्मिनी एकादशी – दुर्लभ, सौभाग्य और पुण्य प्रदान करती है।
- पापांकुशा एकादशी – पाप नाश और मोक्षदायिनी।
कार्तिक मास
- राम/रमा एकादशी – विष्णु कृपा, लक्ष्मी प्रसन्नता।
- प्रबोधिनी एकादशी – चातुर्मास समाप्त, विष्णु जागरण, तुलसी विवाह।
मार्गशीर्ष मास
- उत्पन्ना एकादशी – व्रत आरंभ का श्रेष्ठ दिन, पापों का नाश।
- मोक्षदा एकादशी – गीता जयंती, मोक्ष प्रदान करने वाली।
पौष मास
- सफला एकादशी – मनोकामना पूर्ति और सफलता प्रदान करती है।
- पुत्रदा एकादशी – संतान सुख और परिवार की उन्नति।
माघ मास
- षट्तिला एकादशी – दरिद्रता और रोगों का नाश, तिल का दान आवश्यक।
- जया एकादशी – भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति, अक्षय पुण्य।
फाल्गुन मास
- विजया एकादशी – विजय और सफलता प्रदान करती है।
- आमलकी/आमलका एकादशी – विष्णु और आंवला पूजन, दीर्घायु और मोक्ष।
More Posts:

