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एक समय की बात है। एक नगर में एक बहुत ही धनवान पुरुष अपनी पत्नी के साथ रहता था। दोनों धार्मिक स्वभाव के थे, परंतु धन के अहंकार के कारण वे किसी को दान-पुण्य या अतिथि-सत्कार नहीं करते थे। उनके घर में अपार धन-संपत्ति होते हुए भी लक्ष्मी का ठहराव नहीं था।
कथा का आरंभ
एक दिन देवगुरु बृहस्पति जी साधु का रूप धारण कर उनके घर भिक्षा माँगने पहुँचे। उस समय व्यापारी की पत्नी घर पर थी। उसने देखा कि पीले वस्त्रधारी ब्राह्मण भिक्षा माँग रहे हैं, परंतु उसने उन्हें कुछ भी दान न देकर उल्टा तिरस्कार कर दिया और द्वार से भगा दिया।
देवगुरु नाराज होकर चले गए और क्रोध में शाप दिया !
“हे स्त्री! तूने गुरुवार के दिन भिक्षुक का अपमान किया है। अब तेरे पति का धन नष्ट हो जाएगा और तुम्हें दर-दर भटकना पड़ेगा।”
शाप का प्रभाव
कुछ ही दिनों में व्यापारी का सारा धन नष्ट हो गया। नौकर-चाकर, बैल, गाड़ियाँ, यहाँ तक कि घर तक बिक गया। पति-पत्नी दर-दर भटकने लगे।
एक दिन वे भूखे-प्यासे भटकते-भटकते एक बगीचे में पहुँचे। वहाँ उन्होंने देखा कि कई स्त्रियाँ व्रत-पूजन कर रही हैं। उन स्त्रियों से पूछने पर मालूम हुआ कि यह बृहस्पतिवार का व्रत है, जिसे करने से सुख-समृद्धि, धन, संतान और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पत्नी का परिवर्तन
व्यापारी की पत्नी को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने निश्चय किया कि अब वह श्रद्धापूर्वक बृहस्पतिवार का व्रत करेगी और किसी साधु या अतिथि का अपमान नहीं करेगी। उसने उसी दिन पीले वस्त्र पहनकर पीले फूल, चना दाल और गुड़ से बृहस्पति देव की पूजा की और कथा सुनी।
देवगुरु की कृपा
कुछ ही समय में बृहस्पति देव प्रसन्न हुए। धीरे-धीरे व्यापारी के घर में धन-धान्य की वृद्धि होने लगी। नौकर-चाकर वापस आ गए। घर में सुख-शांति और सौभाग्य का वास हुआ।

व्रत का फल
- जो स्त्री-पुरुष श्रद्धापूर्वक बृहस्पतिवार का व्रत करते हैं, उनके जीवन से दरिद्रता, संकट और दुख दूर होते हैं।
- घर में लक्ष्मी और सुख-समृद्धि स्थायी होती है।
- संतान, धन, सौभाग्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
- भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की कृपा से जीवन में उन्नति होती है।
बृहस्पतिवार व्रत विधि
व्रत का संकल्प
- प्रातः स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें।
- मन में देवगुरु बृहस्पति की आराधना का संकल्प लें।
पूजा की सामग्री
- पीले वस्त्र (देवी-देवताओं के लिए)
- पीले फूल
- चना दाल
- हल्दी, केसर
- गुड़
- केला और आम जैसे पीले फल
- पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर)
- दीपक (घी का)
- धूप/अगरबत्ती
- स्वच्छ जल से भरा कलश, उस पर नारियल व आम्रपत्र
पूजा विधि
- सबसे पहले घर को स्वच्छ करके पूर्व दिशा की ओर पीले कपड़े पर कलश स्थापित करें।
- कलश के ऊपर नारियल व आम्रपत्र रखें।
- भगवान विष्णु और बृहस्पति देव का ध्यान करें।
- हल्दी, पीले फूल, चना दाल, गुड़ अर्पित करें।
- दीपक जलाकर धूप-दीप से आरती करें।
- केले या पीले फलों का भोग लगाएँ।
- बृहस्पतिवार व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
- कथा के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।
व्रत के नियम
- इस दिन नमक रहित भोजन करना श्रेष्ठ माना गया है।
- पीली वस्तुओं का दान करें (जैसे चना दाल, हल्दी, पीले वस्त्र)।
- किसी साधु, ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएँ।
- गुरुवार को कभी भी बाल नहीं धोने चाहिए, न ही कपड़े धोने चाहिए।
Somvar Vrat Katha (सोमवार व्रत कथा)

